दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की ऑडिट रिपोर्ट में करोड़ों के घाटे का खुलासा, मचा बवाल..

दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति बैठक में अध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि अनधिकृत कालोनियों में रहने वाले लोग संपत्ति कर चुकाना चाहते हैं, लेकिन निगम के पास इसके लिए कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इससे निगम को भारी नुकसान हो रहा है। बिना नियमित, अनधिकृत कालोनियों से संपत्ति कर कैसे वसूला जाए, इस पर मंथन किया गया। अध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस संबंध में एक सप्ताह में मसौदा तैयार किया जाए। बैठक में शहरी विकास कोष का दुरुपयोग न करने की अधिकारियों को हिदायत दी गई।

वहीं सफाई के लिए गैर जरूरी मशीनरी की खरीद पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुपर सकर मशीनें आखिरकार इस्तेमाल कहां होंगी। पहले भी कई ऐसे वाहन खरीदे गए जिनका इस्तेमाल नहीं होने से वह खराब होने लगे हैं। इस दौरान ऑडिट रिपोर्ट में करोड़ों के घाटे का खुलासा होने पर भी सवाल उठाए गए।

परियोजनाओं के नाम पर दक्षिणी निगम ने पैसे तो खूब लुटाए लेकिन नतीजा सिफर रहा। परियोजनाओं में देरी की वजह से दक्षिणी निगम को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। यह खुलासा वर्ष 2016-17 की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट ने निगम की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।

ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार पुष्प विहार के नाले पर 27 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि इसका उपयोग ही नहीं हो रहा। वहीं जंगपुरा, न्यू फ्रेंड्स कालोनी और कालकाजी में पार्किंग बनाने के कार्य में देरी के कारण बजट इतना बढ़ गया कि 104.20 करोड़ की बजाय 118.48 करोड़ का भुगतान करना पड़ा। बिस्तरों वाले पूर्णिमा सेठी मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल के मद में भी निगम को 32.08 करोड़ का नुकसान हुआ।

बैठक में सामने आया कि दक्षिणी निगम क्षेत्र में चार हजार से अधिक मोबाइल टावर लगे हैं, लेकिन करीब 2900 टावर के लिए किसी तरह के शुल्क की एमसीडी को अदायगी नहीं की जा रही।

इस संबंध में भी वार्ड वार रिपोर्ट तैयार कर, अगली बैठक में सौंपने के निर्देश दिए गए। उधर, हाउस होल्ड पॉलिसी पर समिति सदस्य कमलजीत सहरावत, शिखा राय ने निगम और दिल्ली सरकार की फीस में काफी अधिक अंतर होने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि विसंगतियों को दूर करने के लिए अधिकारियों को सभी पहलुओं पर दोबारा गौर करना चाहिए।

आम आदमी पार्टी से सदस्य नरेंद्र गिरसा ने दवाइयों की खरीद में घोटाले का आरोप लगाया। उनका कहना था कि कई दवाइयों की कीमत 200 से 300 प्रतिशत अधिक है। जांच की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत अन्य एजेंसियों से भी करेंगे।

हालांकि संबंधित अधिकारियों ने इसे स्पष्ट करते हुए कहा कि पूर्वी निगम में 70 दवाइयों की कीमत दक्षिणी से अधिक है, जबकि दक्षिणी निगम में 45 दवाइयों की कीमत अधिक है।

उन्होंने बताया कि अलग अलग कंपनियों के टेंडर में शामिल होने की वजह से रेट में अंतर है। बैठक में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी, स्वच्छता सहित तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई। इस मौके पर एजेंडा में शामिल अधिकतर प्रस्ताव पारित कर दिए गए।

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